मैं तो वृन्दावन को जाऊं सखी

bhajan diary lyrics मैं तो वृन्दावन को

मैं तो वृन्दावन को जाऊं सखी,

मेरे नैना लगे बिहारी से।

घर में खाऊन रूखी सूखी,

मोहे माखन मिले बिहारी से।

मोरे नयना लगे बिहारी से॥

घर में पहनू फटे पुराने,

मोहे रेशम मिले बिहारी से।

मोरे नयना लगे बिहारी से॥

घर में होए निज कीच-कीच-बाजी,

मोहे आनंद मिले बिहारी से।

मोरे नयना लगे बिहारी से॥

घर में सास ननदिया लड़े हैं,

मोहे सत्संग मिले बिहारी से।

bhajan diary lyrics मैं तो वृन्दावन को

2 जोड़ी पैरों के निशान

जन्म से ठीक पहले एक बालक भगवान से कहता है,” प्रभु आप मुझे नया जन्म मत दीजिये , मुझे पता है पृथ्वी पर बहुत बुरे लोग रहते है…. मैं वहाँ नहीं जाना चाहता …” और ऐसा कह कर वह उदास होकर बैठ जाता है।

भगवान् स्नेह पूर्वक उसके सर पर हाथ फेरते हैं और सृष्टि के नियमानुसार उसे जन्म लेने की महत्ता समझाते हैं , बालक कुछ देर हठ करता है पर भगवान् के बहुत मनाने पर वह नया जन्म लेने को तैयार हो जाता है।

ठीक है प्रभु, अगर आपकी यही इच्छा है कि मैं मृत लोक में जाऊं तो वही सही , पर जाने से पहले आपको मुझे एक वचन देना होगा। ” , बालक भगवान् से कहता है।
भगवान् : बोलो पुत्र तुम क्या चाहते हो ?

बालक : आप वचन दीजिये कि जब तक मैं पृथ्वी पर हूँ तब तक हर एक क्षण आप भी मेरे साथ होंगे।
भगवान् :अवश्य ऐसा ही होगा।

बालक : पर पृथ्वी पर तो आप अदृश्य हो जाते हैं , भला मैं कैसे जानूंगा कि आप मेरे साथ हैं कि नहीं ?

भगवान् : जब भी तुम आँखें बंद करोगे तो तुम्हे दो जोड़ी पैरों के चिन्ह दिखाइये देंगे , उन्हें देखकर समझ जाना कि मैं तुम्हारे साथ हूँ।

फिर कुछ ही क्षणो में बालक का जन्म हो जाता है।

जन्म के बाद वह संसारिक बातों में पड़कर भगवान् से हुए वार्तालाप को भूल जाता है| पर मरते समय उसे इस बात की याद आती है तो वह भगवान के वचन की पुष्टि करना चाहता है।

वह आखें बंद कर अपना जीवन याद करने लगता है। वह देखता है कि उसे जन्म के समय से ही दो जोड़ी पैरों के निशान दिख रहे हैं| परंतु जिस समय वह अपने सबसे बुरे वक़्त से गुजर रहा था उस समय केवल एक जोड़ी पैरों के निशान ही दिखाइये दे रहे थे , यह देख वह बहुत दुखी हो जाता है कि भगवान ने अपना वचन नही निभाया और उसे तब अकेला छोड़ दिया जब उनकी सबसे अधिक ज़रुरत थी।

मरने के बाद वह भगवान् के समक्ष पहुंचा और रूठते हुए बोला , ” प्रभु ! आपने तो कहा था कि आप हर समय मेरे साथ रहेंगे , पर मुसीबत के समय मुझे दो की जगह एक जोड़ी ही पैर दिखाई दिए, बताइये आपने उस समय मेरा साथ क्यों छोड़ दिया ?”

भगवान् मुस्कुराये और बोले , पुत्र ! जब तुम घोर विपत्ति से गुजर रहे थे तब मेरा ह्रदय द्रवित हो उठा और मैंने तुम्हे अपनी गोद में उठा लिया , इसलिए उस समय तुम्हे सिर्फ मेरे पैरों के चिन्ह दिखायी पड़ रहे थे।

बहुत बार हमारे जीवन में बुरा वक़्त आता है , कई बार लगता है कि हमारे साथ बहुत बुरा होने वाला है , पर जब बाद में हम पीछे मुड़ कर देखते हैं तो पाते हैं कि हमने जितना सोचा था उतना बुरा नहीं हुआ ,क्योंकि शायद यही वो समय होता है जब ईश्वर हम पर सबसे ज्यादा कृपा करता है। अनजाने में हम सोचते हैं को वो हमारा साथ नहीं दे रहा पर हकीकत में वो हमें अपनी गोद में उठाये होता है।

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प्रकृति के नियम…

खाना जो हम खाते हैं, 24 घण्टे के अंदर शरीर से बाहर निकल जाना चाहिए, वरना हम बीमार हो जायेंगे ।

पानी जो हम पीते हैं, 04 घण्टे के अंदर शरीर से बाहर निकल जाना चाहिए, वरना हम बीमार हो जायेंगे ।

हवा से हम सांस लेते हैं, कुछ सेकंड में ही वापस बाहर निकल जानी चाहिए, वरना हम मर ही जायेंगे ।

लेकिन नकारात्मक बातें, जैसे कि घृणा, गुस्सा, ईर्षा, असुरक्षा …. आदि आदि,

जिनको हम अपने अंदर दिन, महीने और सालों तक रखे रहते हैं ।

यदि इन नकारात्मक विचारों को समय-समय पर अपने अंदर से नहीं निकालेंगे तो एक दिन निश्चित ही हम मानसिक रोगी बन जायेंगे

तानसेन जो एक संगीत सम्राट थे उनके गुरु स्वामी हरिदास जी भगवान कृष्ण को अपना आराध्य मानते थे। उन्हें अपना संगीत भगवान कृष्ण को समर्पित कर रखा था। वह भगवान कृष्ण की भक्ति में पूरी तरह से लीन थे। वह भगवान कृष्ण की रास लीला स्थल निधिवन में बैठकर भक्ति गीत गाते हैं। जब भी हरिदास की भक्ति में पूरी तरह से लीन होकर गीत गाते थे तब भगवान कृष्ण को हरिदास जी दर्शन देते थे।
एक दिन हरिदास जी के शिष्य ने उनके कहा कि हम सब भी भगवान कृष्ण और राधा जी के दर्शन करना चाहते हैं। इसके बाद हरिदास जी अपने शिष्यों की भावनाओं को ध्यान में रखकर भजन गाने लगे। कुछ देर बाद भगवान कृष्ण और राधा रानी ने उन्हें दर्शन दिए। उन्हें भगवान कृष्ण और राधा रानी से अपने भक्तों की इच्छा के बारे में बताया तब भगवान कृष्ण और राधा रानी ने उनसे उसी स्वरूप में वहां ठहरने की बात कही। इसपर हरिदास जी ने कहा कि हे प्रभु मैं तो एक संत हूं मैं आपको तो जैसे तैसे रख भी लूंगा लेकिन राधारानी को कैसे रख पाऊंगा। उनके लिए रोजाना नए आभूषण, वस्त्र कहा से लाऊंगा।
हरिदास जी के ऐसे वचन सुनकर भगवान कृष्ण मुस्कुराने लगे और तभी राधा कृष्ण एकाकार होकर विग्रह रूप में प्रकट हुए स्वामी हरिदास जी ने उस मूर्ति का नाम बांकेबिहारी रख दिया। बांके बिहारी, राधा कृष्ण का ही मिलाजुला स्वरुप हैं। यानी बांके बिहारी मंदिर में जो मूर्ति है उसमें कृष्ण और राधा दोनों के ही प्राणों का वास है। ऐसी मान्यता है कि विग्रह रूप में भगवान के दर्शन करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

भंडारे में भोजन खाने वालों को तिलक लगाएं एक अति आवश्यक सुझाव….*।
जब कभी भी भण्डारे का आयोजन करें तो कृपया उसमें एक ऐसा व्यक्ति जरूर रखें जो भण्डारे में प्रसाद ग्रहण करने आने वालों को पहले तिलक लगाए। इस प्रकार से भंडारे में आने वाला हर आदमी आदर पाकर बहुत गर्वित होगा एवं हर हिन्दू में तिलक लगाने की परम्परा फैलेगी।

मैंने अपने शहर में देखा है कि-
मंगलवार या शनिवार को बहुत जगह एक साथ भंडारा होता है, जिसमें मुसलमान के अनगिनत बच्चे पॉलिथीन बैगलेकर बहुत सारा भोजन इकट्ठा कर अपनी मुर्गी, बकरी को खिलाने के लिए संग्रह करते हैं। अधिकांश मुसलमान काफिर का प्रसाद नहीं खाते बल्कि उसे घर ले जाकर पशुओं को खिलाते हैं।

यदि तिलक लगाने की परंपरा की शुरुआत कर दी जाए और तिलक लगने के बाद भंडारा प्रसाद दिया जाए तो ।

दो अच्छी बातें होंगी :-

१. प्रथम- गाय खाने वाला मुसलमान या अन्य कुपात्र भंडारे से प्रसाद लेने के लिए तिलक लगवाने से दूर भागेगा, इससे पवित्र प्रसाद (अन्नपूर्णा) का अपमान नहीं होगा।

२. दूसरा- दुबारा लाइन में लग कर बैग भरकर घर ले जाकर दुरूपयोग करने वाले तिलक लगा रहने से पहचान में आ जाएंगे।

3 प्रसाद उन सभी तक पहुचेगा जो आदर सत्कार से ग्रहण करेगा ।

4 और हिन्दू समाज में धीरे धीरे जागृति का भाव भी जागेगा।

अपने हिंदुत्व की रक्षा व पहचान के लिए एक बहुत ही सामान्य उपाय करो- तिलक लगाने और चोटी रखने की परंपरा को पुनर्जीवित करो।

कई लोग सोशल मीडिया को बहुत हल्के में लेते हैं। लेकिन मैं आपको परिणाम बताता हूं।

इसे पढ़ने के लिए एक मिनट का समय दें :-

1: हिंदुओं की एकता से पूरा बॉलीवुड दबाव में है ।

2: हिन्दू एकता की वजह से सीता माता का किरदार निभाने वाली करीना की जगह अब कंगना को लेने जा रहे हैं।

3: हिंदू एकता ने ईसाई धर्म अपनाने की साजिश का खुलासा किया और अमित शाह ने 4 प्रमुख ईसाई संगठनों पर प्रतिबंध लगाया।

4: हिंदुओं की एकता के कारण लव जिहाद को 50% तक सीमित कर दिया गया और यह कई राज्यों में कानून बन गया।

5: हिंदुओं की एकता के कारण अब विपक्ष भी हिंदू बनने के लिए जद्दोजहद कर रहा है।

6: हिंदुओं की एकता के कारण कई जगहों पर जिहादी कारोबार बंद हुआ है।

7: हिंदू एकता के कारण व्हाट्सएप, फेसबुक पर हमारे त्योहारों और संस्कृति के बारे में चुटकुले 80% बंद हो गए ।

8: हिंदू एकता के कारण हिंदू धर्म के खिलाफ बोलने वाले 70% लोग शांत हो गए हैं।

9: हिंदू उतने शांत नहीं हैं जितने पहले हुआ करते थे, वे हर बात का विरोध कर रहे हैं।

फेसबुक और व्हाट्सएप पर भले ही हर हिंदू के कम से कम 200 हिंदू दोस्त हों, उसके हिसाब से आप अपने विचारों को 10 लाख से ज्यादा लोगों तक पहुंचा रहे हैं।

इसलिए अगर लिख नहीं सकते तो कम से कम जो बोल और लिख रहा है उसके विचारों को फॉरवर्ड, शेयर, कॉपी करते रहें।

आपके सोशल मीडिया पर हिंदू धर्म के प्रति जागरूकता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है इसलिए धर्मनिरपेक्ष हिंदू भी अपने धर्म के बारे में सोच रहे हैं।

विरोधियों ने भी हिंदुओं की ताकत पर ध्यान दिया है।

सोशल मीडिया पर मेहनत करते रहें, आपकी ताकत बढ़ रही है। मैं पूरा श्रेय मोदी, योगी और अमित शाह को दूंगा।

इससे हिंदुओं को एक अदृश्य शक्ति मिली है ध्यान दें कि विदेशों से भी लाखों लोग हमारे धर्म में आ रहे हैं अपने लोगों को जोड़ते रहें और ऐसी धार्मिक जागरूकता पैदा करें। जाति भेद को भूल कर एक दूसरे की मदद करें यदि आप एक हैं, तो भारत स्वतः ही एक हिंदू राष्ट्र घोषित हो जाएगाl

हिन्दू धर्म का किसी भी कीमत पर अपमान नहीं होना चाहिए।🚩

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