तुम उठो सिया सिंगार करो

ढोलक पर गाने वाले भजन लिरिक्स तुम उठो सिया

"प्रिय पाठकों, यहाँ आने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद! 🙏 मुझे पता है कि आपको भजन बहुत पसंद आ रहे हैं, और मैं आपके लिए और अधिक जानना आसान बनाना चाहता हूँ। बस नीचे स्क्रॉल करें, और आपको प्रत्येक भजन का लिंक मिल जाएगा। मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप अचानक से स्विच आउट न करें - अंत तक मेरे साथ बने रहें ताकि आप कोई भी दिव्य धुन न चूकें। 🙌 आगे बढ़ें, बस नीचे जाएँ, और भजनों में डूब जाएँ!1

भजन:-

तुम उठो सिया सिंगार करो,

शिव धनुष राम ने तोड़ा है,

शिव धनुष राम ने तोड़ा है,

सीता से नाता जोड़ा है,

तुम उठो सिया सिंगार करो,

शिव धनुष राम ने तोड़ा है….

शीश सिया के चुनड सोहे,

टिके की छवि न्यारी है,

न्यारी न्यारी क्या कहिये ,

रघुवर को जानकी प्यारी है

तुम उठो सिया सिंगार करो,

शिव धनुष राम ने तोड़ा है…..

हाथ सिया के चूड़ी सोहे,

कंगन की छवि न्यारी है,

न्यारी न्यारी क्या कहिये,

रघुवर को जानकी प्यारी है,

तुम उठो सिया सिंगार करो,

शिव धनुष राम ने तोड़ा है….

कमर सिया के तगड़ी सोहे,

झुमके की छवि न्यारी है,

न्यारी न्यारी क्या कहिये ,

रघुवर को जानकी प्यारी है,

तुम उठो सिया सिंगार करो, शिव धनुष राम ने तोड़ा है….

पैर सिया के पायल सोहे,

बिछिया की छवि न्यारी है,

न्यारी न्यारी क्या कहिये ,

रघुवर को जानकी प्यारी है,

तुम उठो सिया सिंगार करो ,

शिव धनुष राम ने तोड़ा है….

ढोलक पर गाने वाले भजन लिरिक्स तुम उठो सिया

माता रानी के घरेलू भजन

  1. पहले गौरी गणेश मनाया करो
  2. बालू मिट्टी के बनाए भोलेनाथ
  3. जग रखवाला है मेरा भोला बाबा
  4. बेलपत्ते ले आओ सारे
  5. कैलाश के भोले बाबा
  6. कब से खड़ी हूं झोली पसार
  7. भोले नाथ तुम्हारे मंदिर मेंअजब नजारा देखा है
  8. शिव शंभू कमाल कर बैठे
  9. एक भूत शिव से बोला
  10. सुनो हे देवी माता रानी
  11. भीगी भीगी रातों में
  12. कावडिया ले चल शिव के द्वार
  13. मैं तो शिव की पुजारन बनूँगी
  14. गौरां और शंकर हैं ये,
  15. शिव तो ठहरे सन्यासी गौरां पछताओगी
  16. कितनी सुन्दर है माँ तेरी नगरी
  17. आशुतोष शशाँक शेखर
  18. अगड़-बम-शिव-लहरी
  19. डमरू वाले बाबा तेरी लीला है न्यारी
  20. कैलाश पर्वत पर बाज रहे घुंघरू
  21. शंकर तेरी जटा में
  22. भोलेनाथ की दीवानी
  23. भोले डमरु बजा दो एक बार हमारे हरी कीर्तन में,
  24. ॐ मंगलम् ओंकार मंगलम् ।
  25. मैं तो शिव की पुजारन बनूँगी
  26. डमरू वाले वावा तुमको आना होगा
  27. अमृत बरसे बरसे जी
  28. ओम जय शिव ओंकारा की आरती लिखी हुई
  29. राधिका गोरी से बिरज की छोरी से
  30. सजा दो घर को गुलशन सा
  31. सांवली सूरत पे मोहन
  32. शिव आरती
  33. ओम जय जगदीश हरे आरती
  34. अंबे तू है जगदंबे काली
  35. कर लो ना राम भजन ग्यारस का
  36. ना जी भर के देखा
  37. अपना चंदा सा मुखड़ा दिखाए जा
  38. तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे
  39. तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे
  40. सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।
  41. श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में
  42. जगत में ग्यारस बड़ी महान
  43. बहु भोजन ना करूं मैं आज
  44. आज मैया का कीर्तन हमारे अंगना lyrics
  45. तू कर ले व्रत ग्यारस का
  46. ग्यारस माता से मिलन कैसे होय
  47. मुझे माता मिल गईं थी
  48. मेरी पूजा में हो रही देर गजानंद आ जाओ
  49. अम्बे कहा जाये जगदम्बे कहा जाये
  50. गौ माता की सेवा कर ले
  51. गौ माता के भजन लिरिक्स
  52. मैया राणी के भवन में
  53. फूलों से सजाया दरबार गजानन आ जाना
  54. कभी दुर्गा बनके कभी काली बनके
  55. saja do ghar ko gulshan sa lyrics
  56. yug ram raj ka aa gaya lyrics
  57. मेरी झोपड़ी के भाग
  58. Cham Cham Nache Dekho Veer Hanumana
  59. मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना,
  60. छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना
  61. श्री राम जी के भजन
  62. ऊँ जय शिव ओंकारा
  63. जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
  64. माँ मेरी तुमसे लड़ाई है
  65. वीर हनुमाना अति बलवाना लिखित भजन
  66. अंजनी पुत्र पवनसुत वीर आपकी जय हो जय हो जय हो
  67. हनुमान चालीसा लिखित में
  68. श्री राम चंद्र कृपालु लिरिक्स
  69. राम भजन हिंदी में लिखित
  70. जन्मे अवध में राम मंगल गाओ री
  71. मुझे ले चलियो हनुमान मैया के जगराते में
  72. चंदा से भी सुंदर मेरे रामजी
  73. चरणों में रघुवर के
  74. तेरा भवन सजा जिन फूलों से
  75. ले के पूजा की थाली
  76. नौ दिन मेरे घर आना जगदंबे मैया
  77. नाम मेरी शेरोंवाली का जिस जिसने गाया है
  78. मुझे दर्शन दे गई मां कल रात सोते-सोते
  79. डर लागै डर लागै माँ काली तेरे तै डर लागै
  80. सपनों में मैया मेरी रोज चली आती है
  81. बिगड़ी मेरी बनादे ए शेरों वाली मैया
  82. बिगड़ी मेरी बना दे ए शेरों वाली मैया
  83. पायो जी मैने राम रतन धन पायो
  84. सियार और ढोल
  85. देने का सबक: करुणा और मानवता की कहानी
  86. युधष्ठिर जी को मिली अमरता
  87. दुर्वासा ऋषि का श्री राम से मिलन
  88. जगन्नाथ धाम पुरी की रसोई: एक अद्भुत अनुभव
  89. दुर्वासा ऋषि का श्री राम से मिलन
  90. एक बहुत बड़ा अमीर आदमी और उसके दान की कहानी
  91. नाक रगड़ कर मांगी मांफी
  92. खाटू श्याम किसके पुत्र थे
  93. “सन्त की आश्चर्य-कहानी”
  94. छोटे बच्चों की मजेदार कहानियां
  95. बूढ़ी माई का इलाज जब भगवान ने किया
  96. बच्चों की बाल कहानियां
  97. तुलसी और विष्णु की कहानी
  98. तीन सवाल
  99. श्रीकृष्ण की माया: सुदामा की
  100. लंका के शासक रावण की माँग
  101. धन्ना जाट जी की कथा
  102. “सच्ची भक्ति: सेवा और करुणा का मार्ग”
  103. जब मेघनाद का कटा हुआ सर बोल पड़ा
  104. Story of child:talk with god
  105. कैसे हुए एक बालक को भगवान के दर्शन
  106. पंचतंत्र की शिक्षाप्रद कहानियां
  107. खटमल और मच्छर की कहानी
  108. छोटी कहानी इन हिंदी ‘हनुमान जी कौन हैं
  109. Places to visit in Ayodhya
  110. पहले गौरी गणेश मनाया करो
  111. बालू मिट्टी के बनाए भोलेनाथ
  112. जग रखवाला है मेरा भोला बाबा
  113. बेलपत्ते ले आओ सारे
  114. कैलाश के भोले बाबा
  115. कब से खड़ी हूं झोली पसार
  116. भोले नाथ तुम्हारे मंदिर मेंअजब नजारा देखा है
  117. शिव शंभू कमाल कर बैठे
  118. एक भूत शिव से बोला
  119. सुनो हे देवी माता रानी
  120. भीगी भीगी रातों में
  121. कावडिया ले चल शिव के द्वार
  122. मैं तो शिव की पुजारन बनूँगी
  123. गौरां और शंकर हैं ये,
  124. शिव तो ठहरे सन्यासी गौरां पछताओगी
  125. कितनी सुन्दर है माँ तेरी नगरी
  126. आशुतोष शशाँक शेखर
  127. अगड़-बम-शिव-लहरी
  128. डमरू वाले बाबा तेरी लीला है न्यारी
  129. कैलाश पर्वत पर बाज रहे घुंघरू
  130. शंकर तेरी जटा में
  131. भोलेनाथ की दीवानी
  132. भोले डमरु बजा दो एक बार हमारे हरी कीर्तन में,
  133. ॐ मंगलम् ओंकार मंगलम् ।
  134. मैं तो शिव की पुजारन बनूँगी
  135. डमरू वाले वावा तुमको आना होगा
  136. अमृत बरसे बरसे जी
  137. ओम जय शिव ओंकारा की आरती लिखी हुई
  138. राधिका गोरी से बिरज की छोरी से
  139. सजा दो घर को गुलशन सा
  140. सांवली सूरत पे मोहन
  141. शिव आरती
  142. ओम जय जगदीश हरे आरती
  143. अंबे तू है जगदंबे काली
  144. कर लो ना राम भजन ग्यारस का
  145. ना जी भर के देखा
  146. अपना चंदा सा मुखड़ा दिखाए जा
  147. तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे
  148. तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे
  149. सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया।
  150. श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में
  151. जगत में ग्यारस बड़ी महान
  152. बहु भोजन ना करूं मैं आज
  153. आज मैया का कीर्तन हमारे अंगना lyrics
  154. तू कर ले व्रत ग्यारस का
  155. ग्यारस माता से मिलन कैसे होय
  156. मुझे माता मिल गईं थी
  157. मेरी पूजा में हो रही देर गजानंद आ जाओ
  158. अम्बे कहा जाये जगदम्बे कहा जाये
  159. गौ माता की सेवा कर ले
  160. गौ माता के भजन लिरिक्स
  161. मैया राणी के भवन में
  162. फूलों से सजाया दरबार गजानन आ जाना
  163. कभी दुर्गा बनके कभी काली बनके
  164. saja do ghar ko gulshan sa lyrics
  165. yug ram raj ka aa gaya lyrics
  166. मेरी झोपड़ी के भाग
  167. Cham Cham Nache Dekho Veer Hanumana
  168. मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना,
  169. छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना
  170. श्री राम जी के भजन
  171. ऊँ जय शिव ओंकारा
  172. जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
  173. माँ मेरी तुमसे लड़ाई है
  174. वीर हनुमाना अति बलवाना लिखित भजन
  175. अंजनी पुत्र पवनसुत वीर आपकी जय हो जय हो जय हो
  176. हनुमान चालीसा लिखित में
  177. श्री राम चंद्र कृपालु लिरिक्स
  178. राम भजन हिंदी में लिखित
  179. जन्मे अवध में राम मंगल गाओ री
  180. मुझे ले चलियो हनुमान मैया के जगराते में
  181. चंदा से भी सुंदर मेरे रामजी
  182. चरणों में रघुवर के
  183. तेरा भवन सजा जिन फूलों से
  184. ले के पूजा की थाली
  185. नौ दिन मेरे घर आना जगदंबे मैया
  186. नाम मेरी शेरोंवाली का जिस जिसने गाया है
  187. मुझे दर्शन दे गई मां कल रात सोते-सोते
  188. डर लागै डर लागै माँ काली तेरे तै डर लागै
  189. सपनों में मैया मेरी रोज चली आती है
  190. बिगड़ी मेरी बनादे ए शेरों वाली मैया
  191. बिगड़ी मेरी बना दे ए शेरों वाली मैया
  192. पायो जी मैने राम रतन धन पायो

प्रिय पाठकों, मैं वास्तव में आपकी उपस्थिति की सराहना करता हूँ क्योंकि हम इन आत्मा को झकझोर देने वाले भजनों के माध्यम से यात्रा कर रहे हैं। 🙏 यदि आप नवीनतम भजनों पर अपडेट रहना चाहते हैं या अपने पसंदीदा भजनों का अनुरोध करना चाहते हैं, तो मैं आपको हमारे व्हाट्सएप ग्रुप में शामिल होने के लिए आमंत्रित करता हूँ। 💬 यह कनेक्ट करने का एक शानदार तरीका है और यह सुनिश्चित करता है कि आप कभी भी किसी दिव्य धुन को मिस न करें। बस नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें और भक्ति के आनंद को फैलाने में हमारे साथ जुड़ें! 🎶”

संन्यासी बड़ा या गृहस्थ

किसी नगर में एक राजा रहता था, उस नगर में जब कोई संन्यासी आता तो राजा उसे बुलाकर पूछता कि- ”भगवान ! गृहस्थ बड़ा है या संन्यास ?” अनेक साधु अनेक प्रकार से इसको उत्तर देते थे। कई संन्यासी को बड़ा तो बताते पर यदि वे अपना कथन सिद्ध न कर पाते तो राजा उन्हें गृहस्थ बनने की आज्ञा देता। जो गृहस्थ को उत्तम बताते उन्हें भी यही आज्ञा मिलती।

इस प्रकार होते-होते एक दिन एक संन्यासी उस नगर में आ निकला और राजा ने बुलाकर वही अपना पुराना प्रश्न पूछा। संन्यासी ने उत्तर दिया- “राजन। सच पूछें तो कोई आश्रम बड़ा नहीं है, किन्तु जो अपने नियत आश्रम को कठोर कर्तव्य धर्म की तरह पालता है वही बड़ा है।”

राजा ने कहा- “तो आप अपने कथन की सत्यता प्रमाणित कीजिये।“

संन्यासी ने राजा की यह बात स्वीकार कर ली और उसे साथ लेकर दूर देश की यात्रा को चल दिया।

घूमते-घूमते वे दोनों एक दूसरे बड़े राजा के नगर में पहुँचे, उस दिन वहाँ की राज कन्या का स्वयंवर था, उत्सव की बड़ी भारी धूम थी। कौतुक देखने के लिये वेष बदले हुए राजा और संन्यासी भी वहीं खड़े हो गये। जिस राजकन्या का स्वयंवर था, वह अत्यन्त रूपवती थी और उसके पिता के कोई अन्य सन्तान न होने के कारण उस राजा के बाद सम्पूर्ण राज्य भी उसके दामाद को ही मिलने वाला था।

राजकन्या सौंदर्य को चाहने वाली थी, इसलिये उसकी इच्छा थी कि मेरा पति, अतुल सौंदर्यवान हो, हजारों प्रतिष्ठित व्यक्ति और देश-देश के राजकुमार इस स्वयंवर में जमा हुए थे। राज-कन्या उस सभा मण्डली में अपनी सखी के साथ घूमने लगी। अनेक राजा-पुत्रों तथा अन्य लोगों को उसने देखा पर उसे कोई पसन्द न आया। वे राजकुमार जो बड़ी आशा से एकत्रित हुए थे, बिल्कुल हताश हो गये। अन्त में ऐसा जान पड़ने लगा कि मानो अब यह स्वयंवर बिना किसी निर्णय के अधूरा ही समाप्त हो जायगा।

इसी समय एक संन्यासी वहाँ आया, सूर्य के समान उज्ज्वल काँति उसके मुख पर दमक रही थी। उसे देखते ही राजकन्या ने उसके गले में माला डाल दी। परन्तु संन्यासी ने तत्क्षण ही वह माला गले से निकाल कर फेंक दी और कहा- ”राजकन्ये। क्या तू नहीं देखती कि मैं संन्यासी हूँ? मुझे विवाह करके क्या करना है?”

यह सुन कर राजकन्या के पिता ने समझा कि यह संन्यासी कदाचित भिखारी होने के कारण, विवाह करने से डरता होगा, इसलिये उसने संन्यासी से कहा- “मेरी कन्या के साथ ही आधे राज्य के स्वामी तो आप अभी हो जायेंगे और पश्चात् सम्पूर्ण राज्य आपको ही मिलेगा।”

राजा के इस प्रकार कहते ही राजकन्या ने फिर वह माला उस साधु के गले में डाल दी, किन्तु संन्यासी ने फिर उसे निकाल पर फेंक दिया और बोला- “राजन् ! विवाह करना मेरा धर्म नहीं है।”

ऐसा कह कर वह तत्काल वहाँ से चला गया, परन्तु उसे देखकर राजकन्या अत्यन्त मोहित हो गई थी, अतएव वह बोली – “विवाह करूंगी तो उसी से करूंगी, नहीं तो मर जाऊँगी।” ऐसा कह कर वह उसके पीछे चलने लगी।

हमारे राजा साहब और संन्यासी यह सब हाल वहाँ खड़े हुए देख रहे थे। संन्यासी ने राजा से कहा- “राजन् ! आओ, हम दोनों भी इनके पीछे चल कर देखें कि क्या परिणाम होता है।”

राजा तैयार हो गया और वे उन दोनों के पीछे थोड़े अन्तर पर चलने लगे। चलते-चलते वह संन्यासी बहुत दूर एक घोर जंगल में पहुँचा, उसके पीछे राजकन्या भी उसी जंगल में पहुँची, आगे चलकर वह संन्यासी बिल्कुल अदृश्य हो गया। बेचारी राजकन्या बड़ी दुखी हुई और घोर अरण्य में भयभीत होकर रोने लगी।

इतने में राजा और संन्यासी दोनों उसके पास पहुँच गये और उससे बोले- ”राजकन्ये ! डरो मत, इस जंगल में तेरी रक्षा करके हम तेरे पिता के पास तुझे कुशल पूर्वक पहुँचा देंगे। परन्तु अब अँधेरा होने लगा है, इसलिये पीछे लौटना भी ठीक नहीं, यह पास ही एक बड़ा वृक्ष है, इसके नीचे रात काट कर प्रातःकाल ही हम लोग चलेंगे।”

राजकन्या को उनका कथन उचित जान पड़ा और तीनों वृक्ष के नीचे रात बिताने लगे। उस वृक्ष के कोटर में पक्षियों का एक छोटा सा घोंसला था, उसमें वह पक्षी, उसकी मादी और तीन बच्चे थे, एक छोटा सा कुटुम्ब था। नर ने स्वाभाविक ही घोंसले से जरा बाहर सिर निकाल कर देखा तो उसे यह तीन अतिथि दिखाई दिये।

इसलिये वह गृहस्थाश्रमी पक्षी अपनी पत्नी से बोला- “प्रिये ! देखो हमारे यहाँ तीन अतिथि आये हुए हैं, जाड़ा बहुत है और घर में आग भी नहीं है।” इतना कह कर वह पक्षी उड़ गया और एक जलती हुई लकड़ी का टुकड़ा कहीं से अपनी चोंच में उठा लाया और उन तीनों के आगे डाल दिया। उसे लेकर उन तीनों ने आग जलाई।

परन्तु उस पक्षी को इतने से ही सन्तोष न हुआ, वह फिर बोला-“ये तो बेचारे दिनभर के भूखे जान पड़ते हैं, इनको खाने के लिये देने को हमारे घर में कुछ भी नहीं है। प्रिय, हम गृहस्थाश्रमी हैं और भूखे अतिथि को विमुख करना हमारा धर्म नहीं है, हमारे पास जो कुछ भी हो इन्हें देना चाहिये, मेरे पास तो सिर्फ मेरा देह है, यही मैं इन्हें अर्पण करता हूँ।”

इतना कह कर वह पक्षी जलती हुई आग में कूद पड़ा। यह देखकर उसकी स्त्री विचार करने लगी कि ‘इस छोटे से पक्षी को खाकर इन तीनों की तृप्ति कैसे होगी ? अपने पति का अनुकरण करके इनकी तृप्ति करना मेरा कर्तव्य है।’ यह सोच कर वह भी आग में कूद पड़ी।

यह सब कार्य उस पक्षी के तीनों बच्चे देख रहे थे, वे भी अपने मन में विचार करने लगे कि- “कदाचित अब भी हमारे इन अतिथियों की तृप्ति न हुई होगी, इसलिये अपने माँ बाप के पीछे इनका सत्कार हमको ही करना चाहिये।” यह कह कर वे तीनों भी आग में कूद पड़े।

यह सब हाल देख कर वे तीनों बड़े चकित हुए। सुबह होने पर वे सब जंगल से चल दिये। राजा और संन्यासी ने राजकन्या को उसके पिता के पास पहुँचाया।

इसके बाद संन्यासी राजा से बोला- “राजन् !! अपने कर्तव्य का पालन करने वाला चाहे जिस परिस्थिति में हो श्रेष्ठ ही समझना चाहिये। यदि गृहस्थाश्रम स्वीकार करने की तेरी इच्छा हो, तो उस पक्षी की तरह परोपकार के लिये तुझे तैयार रहना चाहिये और यदि संन्यासी होना चाहता हो, तो उस उस यति की तरह राज लक्ष्मी और रति को भी लज्जित करने वाली सुन्दरी तक की उपेक्षा करने के लिये तुझे तैयार होना चाहिये। कठोर कर्तव्य धर्म को पालन करते हुए दोनों ही बड़े हैं..!!

Leave a Reply