ekadashi kab hai 2024

ekadashi kab hai 2024 पवित्रा/पुत्रदा एकादशी

पुत्रदा एकादशी का व्रत कैसे रखें?

श्रावण शुक्ल एकादशी का व्रत रखने वाले व्रतधारी को एक दिन पहले अर्थात् दशमी तिथि की रात्रि से ही व्रत के नियमों का पूर्ण रूप से पालन करना चाहिए।

– दशमी के दिन शाम में सूर्यास्त के बाद भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए और रात्रि में भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए सोना चाहिए।

– अगले दिन सुबह सूर्योदय से पहले जाग कर नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्नान करके शुद्ध एवं स्वच्छ वस्त्र धारण करके श्री विष्‍णु का ध्यान करें।

अगर घर में गंगा जल उपलब्ध हो तो पानी में गंगा जल डालकर नहाना चाहिए।

– इस पूजा के लिए श्रीहरि की फोटो के सामने दीया जलाकर व्रत का संकल्प लेने के बाद कलश की स्थापना करें।

– अब कलश को लाल वस्त्र से बांध कर उसका पूजन करें।

– भगवान श्रीहरि विष्णु की प्रतिमा रखकर उसे स्नानादि से शुद्ध करके नया वस्त्र पहनाएं।

– तत्पश्चात धूप-दीप आदि से विधिवत श्रीहरि की पूजा-अर्चना तथा आरती करें

– अपने सामर्थ्य के अनुसार फल, पुष्प, श्रीफल, पान, सुपारी, लौंग, बेर, आंवला आदि अर्पित करें।

– नैवेद्य और फलों का भोग लगाकर प्रसाद वितरण करें।

– एकादशी की रात में भगवान श्रीहरि के नाम का भजन एवं कीर्तन करें।

– पूरे दिन निराहार रहकर सायंकाल के समय कथा सुनने के पश्चात फलाहार करें।

– दूसरे दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाएं तथा दान-दक्षिणा देने के पश्चात स्वयं पारण करें।

श्रावण मास की पवित्रा/पुत्रदा एकादशी व्रत

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पुत्रदा या पवित्रा एकादशी की व्रत कथा के अनुसार द्वापर युग के आरंभ में महिष्मति नाम की एक नगरी थी, जिसमें महीजित नाम का राजा राज्य करता था, लेकिन पुत्रहीन होने के कारण राजा को राज्य सुखदायक नहीं लगता था। उसका मानना था कि जिसके संतान न हो, उसके लिए यह लोक और परलोक दोनों ही दु:खदायक होते हैं। पुत्र सुख की प्राप्ति के लिए राजा ने अनेक उपाय किए परंतु राजा को पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई।

वृद्धावस्था आती देखकर राजा ने प्रजा के प्रतिनिधियों को बुलाया और कहा- हे प्रजाजनों! मेरे खजाने में अन्याय से उपार्जन किया हुआ धन नहीं है। न मैंने कभी देवताओं तथा ब्राह्मणों का धन छीना है। किसी दूसरे की धरोहर भी मैंने नहीं ली, प्रजा को पुत्र के समान पालता रहा। मैं अपराधियों को पुत्र तथा बांधवों की तरह दंड देता रहा। कभी किसी से घृणा नहीं की। सबको समान माना है। सज्जनों की सदा पूजा करता हूं। इस प्रकार धर्मयुक्त राज्य करते हुए भी मेरे पु‍त्र नहीं है। सो मैं अत्यंत दु:ख पा रहा हूं, इसका क्या कारण है?

राजा महीजित की इस बात को विचारने के लिए मं‍त्री तथा प्रजा के प्रतिनिधि वन को गए। वहां बड़े-बड़े ऋषि-मुनियों के दर्शन किए। राजा की उत्तम कामना की पूर्ति के लिए किसी श्रेष्ठ तपस्वी मुनि को देखते-फिरते रहे। एक आश्रम में उन्होंने एक अत्यंत वयोवृद्ध धर्म के ज्ञाता, बड़े तपस्वी, परमात्मा में मन लगाए हुए निराहार, जितेंद्रीय, जितात्मा, जितक्रोध, सनातन धर्म के गूढ़ तत्वों को जानने वाले, समस्त शास्त्रों के ज्ञाता महात्मा लोमश मुनि को देखा, जिनका कल्प के व्यतीत होने पर एक रोम गिरता था।

सबने जाकर ऋषि को प्रणाम किया। उन लोगों को देखकर मुनि ने पूछा कि आप लोग किस कारण से आए हैं? नि:संदेह मैं आप लोगों का हित करूंगा। मेरा जन्म केवल दूसरों के उपकार के लिए हुआ है, इसमें संदेह मत करो। लोमश ऋषि के ऐसे वचन सुनकर सब लोग बोले- हे महर्षे! आप हमारी बात जानने में ब्रह्मा से भी अधिक समर्थ हैं। अत: आप हमारे इस संदेह को दूर कीजिए।

महिष्मति पुरी का धर्मात्मा राजा महीजित प्रजा का पुत्र के समान पालन करता है। फिर भी वह पुत्रहीन होने के कारण दु:खी है। उन लोगों ने आगे कहा कि हम लोग उसकी प्रजा हैं। अत: उसके दु:ख से हम भी दु:खी हैं। आपके दर्शन से हमें पूर्ण विश्वास है कि हमारा यह संकट अवश्य दूर हो जाएगा क्योंकि महान पुरुषों के दर्शन मात्र से अनेक कष्ट दूर हो जाते हैं। अब आप कृपा करके राजा के पुत्र होने का उपाय बतलाएं।

यह वार्ता सुनकर ऋषि ने थोड़ी देर के लिए नेत्र बंद किए और राजा के पूर्व जन्म का वृत्तांत जानकर कहने लगे कि यह राजा पूर्व जन्म में एक निर्धन वैश्य था। निर्धन होने के कारण इसने कई बुरे कर्म किए। यह एक गांव से दूसरे गांव व्यापार करने जाया करता था। एक समय ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन मध्याह्न के समय वह जबकि दो दिन से भूखा-प्यासा था, एक जलाशय पर जल पीने गया। उसी स्थान पर एक तत्काल की ब्याही हुई प्यासी गौ जल पी रही थी।

राजा ने उस प्यासी गाय को जल पीते हुए हटा दिया और स्वयं जल पीने लगा, इसीलिए राजा को यह दु:ख सहना पड़ा। एकादशी के दिन भूखा रहने से वह राजा हुआ और प्यासी गौ को जल पीते हुए हटाने के कारण पुत्र वियोग का दु:ख सहना पड़ रहा है। ऐसा सुनकर सब लोग कहने लगे कि हे ऋषि! शास्त्रों में पापों का प्रायश्चित भी लिखा है। अत: जिस प्रकार राजा का यह पाप नष्ट हो जाए, आप ऐसा उपाय बताइए।

लोमश मुनि कहने लगे कि श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी को जिसे पुत्रदा एकादशी भी कहते हैं, तुम सब लोग व्रत करो और रात्रि को जागरण करो तो इससे राजा का यह पूर्व जन्म का पाप अवश्य नष्ट हो जाएगा, साथ ही राजा को पुत्र की अवश्य प्राप्ति होगी। लोमश ऋषि के ऐसे वचन सुनकर मंत्रियों सहित सारी प्रजा नगर को वापस लौट आई और जब श्रावण शुक्ल एकादशी आई तो ऋषि की आज्ञानुसार सबने पुत्रदा एकादशी का व्रत और जागरण किया।

इसके पश्चात द्वादशी के दिन इसके पुण्य का फल राजा को दिया गया। उस पुण्य के प्रभाव से रानी ने गर्भ धारण किया और प्रसवकाल समाप्त होने पर उसके एक बड़ा तेजस्वी पुत्र उत्पन्न हुआ। इसलिए हे राजन! इस श्रावण शुक्ल एकादशी का नाम पुत्रदा पड़ा। अत: संतान सुख की इच्छा हासिल करने वाले इस व्रत को अवश्य करें।

पुत्रदा एकादशी की इस कथा को पढ़ने तथा इसके माहात्म्य को सुनने से मनुष्य इस लोक में संतान सुख भोगकर सब पापों से मुक्त हो जाता है और परलोक में स्वर्ग को प्राप्त होता है। इस कथा को सुनने मात्र से ही वायपेयी यज्ञ का फल मिलता है।

इसे पवित्रा एकादशी भी कहते हैं अत: इस दिन एकादशी व्रत की कथा तथा इसके माहात्म्य को पढ़ने और सुनने मात्र से मनुष्य पापों से मुक्त होकर तथा संतान सुख भोग कर परलोक में स्वर्ग सुख का भागी बनता है।

तिथिएकादशी व्रत का नामएकादशी व्रत का समय 2024
7 जनवरी 2024, रविवारसफला एकादशीआरंभ – 12:41 बजे रात, 7 जनवरी; समाप्त – 12:46 बजे रात, 8 जनवरी
21 जनवरी 2024, रविवारपौष पुत्रदा एकादशीआरंभ – 07:26 बजे शाम, 20 जनवरी; समाप्त – 07:26 बजे शाम, 21 जनवरी
6 फ़रवरी 2024, मंगलवारषट्तिला एकादशीआरंभ – 05:24 बजे शाम, 5 फ़रवरी; समाप्त – 04:07 बजे अपराह्न, 6 फ़रवरी
20 फ़रवरी 2024, मंगलवारजया एकादशीआरंभ – 08:49 बजे पूर्वाह्न, 19 फ़रवरी; समाप्त – 09:55 बजे पूर्वाह्न, 20 फ़रवरी
7 मार्च 2024, गुरुवारविजया एकादशीआरंभ – 06:30 बजे पूर्वाह्न, 6 मार्च; समाप्त – 04:13 बजे पूर्वाह्न, 7 मार्च
20 मार्च 2024, बुधवारअमलकी एकादशीआरंभ – 12:21 बजे रात, 20 मार्च; समाप्त – 02:22 बजे रात, 21 मार्च
5 अप्रैल 2024, शुक्रवारपापमोचनी एकादशीआरंभ – 04:14 बजे अपराह्न, 4 अप्रैल; समाप्त – 01:28 बजे अपराह्न, 5 अप्रैल
19 अप्रैल 2024, शुक्रवारकामदा एकादशीआरंभ – 05:31 बजे शाम, 18 अप्रैल; समाप्त – 08:04 बजे शाम, 19 अप्रैल
4 मई 2024, शनिवारवरुथिनी एकादशीआरंभ – 11:24 बजे रात, 3 मई; समाप्त – 08:38 बजे शाम, 4 मई
19 मई 2024, रविवारमोहिनी एकादशीआरंभ – 11:22 बजे पूर्वाह्न, 18 मई; समाप्त – 01:50 बजे अपराह्न, 19 मई
2 जून 2024, रविवारअपरा एकादशीआरंभ – 05:04 बजे पूर्वाह्न, 2 जून; समाप्त – 02:41 बजे पूर्वाह्न, 3 जून
18 जून 2024, मंगलवारनिर्जला एकादशीआरंभ – 04:43 बजे पूर्वाह्न, 17 जून; समाप्त – 06:24 बजे पूर्वाह्न, 18 जून
2 जुलाई 2024, मंगलवारयोगिनी एकादशीआरंभ – 10:26 बजे पूर्वाह्न, 1 जुलाई; समाप्त – 08:42 बजे पूर्वाह्न, 2 जुलाई
17 जुलाई 2024, बुधवारदेवशयनी एकादशीआरंभ – 08:33 बजे शाम, 16 जुलाई; समाप्त – 09:02 बजे शाम, 17 जुलाई
31 जुलाई 2024, बुधवारकामिका एकादशीआरंभ – 04:44 बजे अपराह्न, 30 जुलाई; समाप्त – 03:55 बजे अपराह्न, 31 जुलाई
16 अगस्त 2024, शुक्रवारश्रावण पुत्रदा एकादशीआरंभ – 10:26 बजे पूर्वाह्न, 15 अगस्त; समाप्त – 09:39 बजे पूर्वाह्न, 16 अगस्त
29 अगस्त 2024, गुरुवारअजा एकादशीआरंभ – 01:19 बजे रात, 29 अगस्त; समाप्त – 01:37 बजे रात, 30 अगस्त
14 सितंबर 2024, शनिवारपर्श्व एकादशीआरंभ – 10:30 बजे रात, 13 सितंबर; समाप्त – 08:41 बजे शाम, 14 सितंबर
28 सितंबर 2024, शनिवारइंदिरा एकादशीआरंभ – 01:20 बजे अपराह्न, 27 सितंबर; समाप्त – 02:49 बजे अपराह्न, 28 सितंबर
13 अक्टूबर 2024, रविवारपापांकुशा एकादशीआरंभ – 09:08 बजे पूर्वाह्न, 13 अक्टूबर; समाप्त – 06:41 बजे पूर्वाह्न, 14 अक्टूबर
28 अक्टूबर 2024, सोमवाररामा एकादशीआरंभ – 05:23 बजे पूर्वाह्न, 27 अक्टूबर; समाप्त – 07:50 बजे पूर्वाह्न, 28 अक्टूबर
12 नवंबर 2024, मंगलवारदेवउठानी एकादशीआरंभ – 06:46 बजे शाम, 11 नवंबर; समाप्त – 04:04 बजे अपराह्न, 12 नवंबर
26 नवंबर 2024, मंगलवारउत्पन्न एकादशीआरंभ – 01:01 बजे रात, 26 नवंबर; समाप्त – 03:47 बजे रात, 27 नवंब़र
11 दिसंबर 2024, बुधवारमोक्षदा एकादशीआरंभ – 03:42 बजे पूर्वाह्न, 11 दिसंबर; समाप्त – 01:09 बजे रात, 12 दिसंबर
26 दिसंबर 2024, गुरुवारसफला एकादशीआरंभ – 10:29 बजे रात, 25 दिसंबर; समाप्त – 12:43 बजे रात, 27 दिसंब़र

FAQS


पुत्रदा एकादशी 2024 कितनी है?

पुत्रदा एकादशी दो प्रकार की होती है एक श्रावण मास की जो अगस्त में आती है ,और दूसरी पौष मास की जो की जनवरी में आती है।

क्या एकादशी के व्रत में चाय पी सकते हैं?

नहीं व्रत में चाय का सेवन नहीं करना चाहिए , एकादशी में वो ही वस्तु खानी चाहिए जिसका भगवान को भोग लगाया जा सके।

क्या हम पुत्रदा एकादशी पर पानी पी सकते हैं?

ये निर्भर करता है आप पर यदि आप निर्जला व्रत रखते हैं तब आप पानी नहीं पी सकते बाकी अन्य प्रकारों में पानी पिया जा सकता है।

क्या एकादशी के दिन बाल कटवाए जा सकते हैं?

नहीं एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए किसी भी पवित्र तिथियों में और व्रत के दिनों में बाल नहीं कटवाने चाहिए।



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