You are currently viewing सावन महीने में करे ये काम
शिव आरती हिंदी में

सावन महीने में करे ये काम

शिव आरती हिंदी में

सावन का पहला सोमवार: विशेष महत्व

सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति और पूजा के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। इस बार सावन का पहला सोमवार धृति योग में पड़ रहा है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं समाप्त होती हैं और भक्तों की सभी समस्याएं दूर होती हैं।

शिव भक्तों की पूजा और व्रत

सावन के महीने में शिव मंदिरों पर भक्तों और कांवड़ियों की भीड़ देखी जा सकती है। शिव भक्त भांग, धतूरा, और शहद से भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिससे उन्हें शक्ति और बेहतर स्वास्थ्य प्राप्त होता है और उनकी सारी इच्छाएं पूरी होती हैं। इसके अलावा, सावन मास में शिवपुराण और शिव चालीसा का पाठ करना भी अत्यंत लाभकारी होता है। सोमवार और सोलह सोमवार के व्रत करना भी शुभ फलदायी माना जाता है।

अभिषेक का महत्व

सावन के महीने में शिवालयों में भगवान शिव का जल, दूध और पंचामृत से अभिषेक किया जाता है। भक्तों ने भगवान शिव का अभिषेक करने के बाद उन्हें बिल्व पत्र अर्पित किए। भगवान शिव को बिल्व पत्र चढ़ाने का भी विशेष महत्व है। इसके अलावा, आंकड़े के फूल, फल और भांग भी भगवान शिव को प्रिय हैं और सावन माह में उन्हें अर्पित करने का विशेष महत्व है।

सावन का महत्व और पूजा विधि

सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति की अविरल धारा का प्रतीक है। सावन के दौरान हर सोमवार का विशेष महत्व होता है और इस दौरान भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। सावन के सोमवार को शिवालयों में अभिषेक और पूजा का दौर चलता है, जिसमें जल, दूध और पंचामृत से अभिषेक किया जाता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन का महीना भगवान शिव को अति प्रिय होता है और इस महीने में वे अपने भक्तों पर अतिशय कृपा बरसाते हैं। इस दौरान व्रत और पूजा करने से भक्तों को विशेष लाभ होता है। सावन मास में मांसाहार का परित्याग करना भी शुभ माना जाता है।

व्रत के नियम

व्रतधारी को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पानी में कुछ काले तिल डालकर नहाना चाहिए। भगवान शिव का अभिषेक जल या गंगाजल से किया जाता है, परंतु विशेष अवसरों पर दूध, दही, घी, शहद, चने की दाल, सरसों तेल, काले तिल आदि सामग्रियों से अभिषेक करने की विधि प्रचलित है। तत्पश्चात ऊँ नमः शिवाय मंत्र के द्वारा श्वेत फूल, सफेद चंदन, चावल, पंचामृत, सुपारी, फल और गंगाजल या साफ पानी से भगवान शिव और पार्वती का पूजन करना चाहिए।

सावन के सोमवार का विशेष योग

इस सावन के दौरान हर सोमवार का विशेष योग है:

  1. पहला सोमवार (आज): धृति योग, जीवन की बाधाएं समाप्त।
  2. दूसरा सोमवार (1 अगस्त): वज योग, शक्ति और स्वास्थ्य में सुधार।
  3. तीसरा सोमवार (8 अगस्त): साद्य योग, कठिन कार्यों की पूर्णता।
  4. चौथा सोमवार (15 अगस्त): आयुष्मान योग, आयु में वृद्धि।

सारांश

सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति का महत्वपूर्ण समय होता है। इस दौरान की जाने वाली पूजा, अभिषेक, व्रत और मंत्रों के जाप से जीवन की सभी समस्याओं का निवारण होता है और भक्तों को मनचाहा फल प्राप्त होता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सावन का महीना और सोमवार का व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। श्रद्धा और विधि-विधान से की गई पूजा से भगवान शिव अपने भक्तों पर अतिशय कृपा बरसाते हैं और उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।

यूं तो भगवान शंकर की पूजा के लिए सोमवार का दिन पुराणों में निर्धारित किया गया है। लेकिन पौराणिक मान्यताओं में भगवान शंकर की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन महाशिवरात्रि, उसके बाद सावन के महीने में आनेवाला प्रत्येक सोमवार, फिर हर महीने आनेवाली शिवरात्रि और सोमवार का महत्व है। लेकिन भगवान को सावन यानी श्रावण का महीना बेहद प्रिय है जिसमें वह अपने भक्तों पर अतिशय कृपा बरसाते हैं।

ऐसी मान्यता है कि इस महीने में खासकर सोमवार के दिन व्रत-उपवास और पूजा पाठ (रुद्राभिषेक,कवच पाठ,जाप इत्यादि) का विशेष लाभ होता है। सनातन धर्म में यह महीना बेहद पवित्र माना जाता है यही वजह है कि मांसाहार करने वाले लोग भी इस मास में मांस का परित्याग कर देते है। सावन के महीने में सोमवार महत्वपूर्ण होता है। सोमवार का अंक 2 (पहला रविवार और दूसरा सोमवार) होता है जो चन्द्रमा का प्रतिनिधित्व करता है।

चन्द्रमा मन का संकेतक है और वह भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान है। जब सूर्य कर्क राशि में गोचर करता है, तब सावन महीने की शुरुआत होती है। सूर्य गर्म है जो उष्मा देता है जबकि चंद्रमा ठंडा है जो शीतलता प्रदान करता है। इसलिए सूर्य के कर्क राशि में आने से झमाझम बारिस होती है। जिससे लोक कल्याण के लिए विष को पीने वाले भोले को ठंडक व सुकून मिलता है। इसलिए शिव का सावन से इतना गहरा लगाव है।

शिव (शि-व) मंत्र में एक अंश उसे ऊर्जा देता है और दूसरा उसे संतुलित करता है। ऊं नमः शिवायः का महामंत्र भगवान शंकर की उस उर्जा को नमन है जहां शक्ति अपने सर्वोच्च रूप में आध्यात्मिक किरणों से भक्तों के मन-मस्तिष्क को संचालित करती है। जलाभिषेक भगवान शंकर यूं तो अराधना से प्रसन्न होते हैं लेकिन सावन मास में जलाभिषेक, रुद्राभिषेक का बड़ा महत्व है। वेद मंत्रों के साथ भगवान शंकर को जलधारा अर्पित करना साधक के आध्यात्मिक जीवन के लिए महाऔषधि के सामान है। पांच तत्व में जल तत्व बहुत महत्वपूर्ण है। पुराणों ने शिव के अभिषेक को बहुत पवित्र महत्व बताया गया है। जल में भगवान विष्णु का वास है, जल का एक नाम नार भी है।

इसीलिए भगवान विष्णु को नारायण कहते हैं। जल से ही धरती का ताप दूर होता है। जो भक्त, श्रद्धालु भगवान शिव को जल चढ़ाते हैं उनके रोग-शोक, दुःख दरिद्र सभी नष्ट हो जाते हैं। भगवान शंकर को महादेव इसीलिए कहा जाता है क्योंकि वह देव, दानव, यक्ष, किन्नर, नाग, मनुष्य, सभी द्वारा पूजे जाते हैं। सोमवार का व्रत धार्मिक मान्यता है कि सोमवार का व्रत करने से हर व्रती को दुख, कष्ट और परेशानियों से छुटकारा मिलता है और वह सुखी, निरोगी और समृद्ध जीवन का आनन्द पाता है। सावन माह में सोमवार को जो भी पूरे विधि-विधान से शिव जी की पूजा करता है वो शिव जी का विशेष आशीर्वाद पा लेता है। इस दिन व्रत करने से बच्चों की बीमारी दूर होती है, दुर्घटना और अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है, मनचाहा जीवनसाथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियों का अंक होता है, सरकार से जुड़ी परेशानियों हल हो जाती हैं साथ ही भक्त को आध्यात्मिक उत्थान होता है। सावन के महिने में भगवान शिव को प्रसन्न व अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए सावन सोमवार का विशेष महत्व है।

शिव की उपासना व व्रत करने की अगर विधि सही हो तो शिव जी जल्दी प्रसन्न हो जाते है और अपने भक्त की मनचाही मनोकामना पूरी कर देते है। व्रत के नियम – व्रतधारी को ब्रह्म मुर्हत में उठकर पानी में कुछ काले तिल डालकर नहाना चाहिए। भगवान शिव का अभिषेक जल या गंगाजल से होता है परंतु विशेष अवसर व विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए दूध, दही, घी, शहद, चने की दाल, सरसों तेल, काले तिल, आदि कई सामग्रियों से अभिषेक की विधि प्रचिलत है। तत्पश्चात ऊँ नमः शिवाय मंत्र के द्वारा श्वेत फूल, सफेद चंदन, चावल, पंचामृत, सुपारी, फल और गंगाजल या साफ पानी से भगवान शिव और पार्वती का पूजन करना चाहिए। मान्यता है कि अभिषेक के दौरान पूजन विधि के साथ-साथ मंत्रों का जाप भी बेहद आवश्यक माना गया है फिर महामृत्युंजय मंत्र का जाप हो, गायत्री मंत्र हो या फिर भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र। शिव-पार्वती की पूजा के बाद सावन के सोमवार की व्रत कथा करें। आरती करने के बाद भोग लगाएं और घर परिवार में बांटने के पश्चात स्वयं ग्रहण करें। दिन में केवल एक समय नमक रहित भोजन ग्रहण करें।

श्रद्धापूर्वक व्रत करें। अगर पूरे दिन व्रत रखना सम्भव न हो तो सूर्यास्त तक भी व्रत कर सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र में दूध को चंद्र ग्रह से संबंधित माना गया है क्योंकि दोनों की प्रकृति शीतलता प्रदान करने वाली होती है। चंद्र ग्रह से संबंधित समस्त दोषों का निवारण करने के लिए सोमवार को महादेव पर दूध अर्पित करें। समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए शिवलिंग पर प्रतिदिन गाय का कच्चा दूध अर्पित करें। सावन का पहला सोमवार- सावन का पहला सोमवार आज है। जो धृति योग में है। इस दिन शिव की अराधना करने पर जीवन में सभी बाधाएं खत्म होती हैं। सावन का दूसरा सोमवार- सावन का दूसरा सोमवार एक अगस्त को वज योग में पड़ेगा। इस योग में शिव स्तुति करने से शक्ति मिलती है और स्वास्थ्य ठीक रहता है। सावन का तीसरा सोमवार- सावन का तीसरा सोमवार आठ अगस्त को साद्य योग में आएगा। इस दिन शिव की पूजा करने से कठिन से कठिन काम भी पूर्ण होंगे।

Leave a Reply