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छोटी कहानी इन हिंदी द्वादश ज्योतिर्लिंग

सावन के महीने में जाने द्वादश ज्योतिर्लिंग के बारे में

छोटी कहानी इन हिंदी द्वादश ज्योतिर्लिंग

क्या आप जानते हैं कि भारत में 12 ज्योतिर्लिंगों को एक प्रगतिशील सर्पिल में स्थित किया गया है। यदि आप मानचित्र पर ज्योतिर्लिंग मंदिरों के ऊपर एक रेखा खींचते हैं तो अंतिम परिणाम शंख या फाइबोनैचि पैटर्न का आकार होता है। वे कहते हैं, यह पैटर्न प्रकृति का गुप्त कोड है।

ज्योतिर्लिंग प्रगतिशील सर्पिल में स्थित हैं? ऊर्जा का नियम कहता है–ऊर्जा सदैव स्वयं को संतुलित करती है। ऊर्जा एक ऐसे बिंदु से प्रवाहित होती है जहां यह ठंडे ब्रह्मांड की ओर केंद्रित होती है। यही कारण है कि वायु उच्च दबाव वाले क्षेत्र से निम्न दबाव वाले क्षेत्र की ओर बहती है

भारत के द्वादश ज्योतिर्लिंग के नाम

1- सोमनाथ

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भारत का ही नहीं अपितु इस पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है, कि जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने श्राप दिया था, तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर तप कर इस श्राप से मुक्ति पाई थी। ऐसा भी कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं चन्द्र देव ने की थी। विदेशी आक्रमणों के कारण यह 17 बार नष्ट हो चुका है। हर बार यह बिगड़ता और बनता रहा है।

2- मल्लिकार्जुन

यह ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर का महत्व भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान कहा गया है। अनेक धार्मिक शास्त्र इसके धार्मिक और पौराणिक महत्व की व्याख्या करते हैं।

कहते हैं कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है। एक पौराणिक कथा के अनुसार जहां पर यह ज्योतिर्लिंग है, उस पर्वत पर आकर शिव का पूजन करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होते हैं।

3- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कही जाने वाली उज्जैन नगरी में स्थित है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता है कि ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां प्रतिदिन सुबह की जाने वाली भस्मारती विश्व भर में प्रसिद्ध है। महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से आयु वृद्धि और आयु पर आए हुए संकट को टालने के लिए की जाती है। उज्जैनवासी मानते हैं कि भगवान महाकालेश्वर ही उनके राजा हैं और वे ही उज्जैन की रक्षा कर रहे हैं।

4- ओंकारेश्वर

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शहर इंदौर के समीप स्थित है। जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है, उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है और पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ऊं का आकार बनता है। ऊं शब्द की उत्पति ब्रह्मा के मुख से हुई है। इसलिए किसी भी धार्मिक शास्त्र या वेदों का पाठ ऊं के साथ ही किया जाता है। यह ज्योतिर्लिंग औंकार अर्थात ऊं का आकार लिए हुए है, इस कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।

5- केदारनाथ

केदारनाथ स्थित ज्योतिर्लिंग भी भगवान शिव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में आता है। यह उत्तराखंड में स्थित है। बाबा केदारनाथ का मंदिर बद्रीनाथ के मार्ग में स्थित है। केदारनाथ समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। केदारनाथ का वर्णन स्कन्द पुराण एवं शिव पुराण में भी मिलता है। यह तीर्थ भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। जिस प्रकार कैलाश का महत्व है उसी प्रकार का महत्व शिव जी ने केदार क्षेत्र को भी दिया है।

6- भीमाशंकर

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के विषय में मान्यता है कि जो भक्त श्रद्धा से इस मंदिर का दर्शन प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं तथा उसके लिए स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं।

7- काशी विश्वनाथ

विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह उत्तर प्रदेश के काशी नामक स्थान पर स्थित है। काशी सभी धर्म स्थलों में सबसे अधिक महत्व रखती है। इसलिए सभी धर्म स्थलों में काशी का अत्यधिक महत्व कहा गया है। इस स्थान की मान्यता है कि प्रलय आने पर भी यह स्थान बना रहेगा। इसकी रक्षा के लिए भगवान शिव इस स्थान को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेंगे और प्रलय के टल जाने पर काशी को उसके स्थान पर पुन: रख देंगे।

8- त्र्यंबकेश्वर

यह ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के करीब महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के सबसे अधिक निकट ब्रह्मागिरि नाम का पर्वत है। इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है। भगवान शिव का एक नाम त्र्यंबकेश्वर भी है। कहा जाता है कि भगवान शिव को गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर यहां ज्योतिर्लिंग रूप में रहना पड़ा।

9- वैद्यनाथ

श्री वैद्यनाथ शिवलिंग का समस्त ज्योतिर्लिंगों की गणना में नौवां स्थान बताया गया है। भगवान श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर जिस स्थान पर अवस्थित है, उसे वैद्यनाथ धाम कहा जाता है। यह स्थान झारखंड राज्य (पूर्व में बिहार ) के देवघर जिला में पड़ता है।

10- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के बाहरी क्षेत्र में द्वारिका स्थान में स्थित है। धर्म शास्त्रों में भगवान शिव नागों के देवता है और नागेश्वर का पूर्ण अर्थ नागों का ईश्वर है। भगवान शिव का एक अन्य नाम नागेश्वर भी है। द्वारका पुरी से भी नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी 17 मील की है। इस ज्योतिर्लिंग की महिमा में कहा गया है

11- रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग

यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरं नामक स्थान में स्थित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के साथ-साथ यह स्थान हिंदुओं के चार धामों में से एक भी है। इस ज्योतिर्लिंग के विषय में यह मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी। भगवान राम के द्वारा स्थापित होने के कारण ही इस ज्योतिर्लिंग को भगवान राम का नाम रामेश्वरम दिया गया है।

12- धृष्णेश्वर मन्दिर

घृष्णेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के समीप दौलताबाद के पास स्थित है। इसे घृसणेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगोंb hv में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है। बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित एलोरा की प्रसिद्ध गुफाएं इस मंदिर के समीप स्थित हैं। यहीं पर श्री एकनाथजी गुरु व श्री जनार्दन महाराज की समाधि भी है।

…..ॐ ईं ह्रीं श्रीं सीं हसवरयूँ …अद्भुत मन्त्र तन्त्रोक्त दीक्षित साधक यह मन्त्र जप कर सकते ह

……नमश्शिवाय्…….. सभी जन जप कर सकते है…

……ॐ ऐं ह्रीं क्लीं आं शं शंकराय नम पूर्ण पापम् विध्वश्य विध्वंशय सकल विधि मनोरथां पूरय पूरय पूर्ण आयुर्वितर वितर शं आं क्लीं ह्रीं ऍ ॐ …..

यह अर्ध नारीश्वर मंत्र अति गोपनीय व् दुर्लभ है साधन जान इनका जन कल्यानार्यः अनुस्थान कर स्वम व् यजमान को लाभ दे सकते है….स्वम करने के लिये परामर्श हमसे कर सकते है..

अब ज्योतिर्लिंगों के सर्पिल पैटर्न को देखें। तीर जीवन ऊर्जा के प्रवाह को दर्शाते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव 12 ज्योतिर्लिंगों में अग्नि के स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे। एक व्यक्ति जिसने आध्यात्मिकता की एक निश्चित डिग्री प्राप्त कर ली है, वह इन लिंगों को पृथ्वी को छेदने वाली आग के स्तंभों के रूप में देखता है।

तो फाइबोनैचि संख्याएँ क्या हैं? संख्याओं की एक श्रृंखला जिसमें प्रत्येक संख्या दो पूर्ववर्ती संख्याओं का योग है – 1,1,2,3,5,8…श्रृंखला में अगली संख्या 5+8 होगी और इसी तरह आगे भी। आप इस श्रृंखला में अनंत तक संख्या जोड़ना जारी रख सकते हैं। इस गणितीय पैटर्न को एक सर्पिल के रूप में दर्शाया गया है। प्रकृति में फाइबोनैचि श्रृंखला हर जगह पाई जाती है। सूरजमुखी के बीज, पाइन शंकु, मकड़ी के जाल और शंख के आकार की व्यवस्था में भी। नीचे एलोवेरा का फाइबोनैचि पैटर्न दिया गया है

अब मैं आपको भारत का सौर विकिरण मानचित्र दिखाता हूँ। एक घंटी बजती है? थोड़ा विचलन इसलिए हो सकता है क्योंकि ज्योतिर्लिंग बहुत लंबे समय से पृथ्वी पर हैं। मैं ठीक-ठीक यह नहीं बता सकता कि ऊर्जा का स्वरूप क्या है जो एक लिंग से दूसरे लिंग तक प्रवाहित होती है, लेकिन मुझे विश्वास है कि ज्योतिर्लिंग उच्च ऊर्जा के स्रोत हैं। चाहे वह सौर, परमाणु या आध्यात्मिक ऊर्जा हो! ऊर्जा का सटीक रूप ज्ञात नहीं है। क्या आप जानते हैं कि हिंदू धर्म में पवित्र फूल कमल भी फाइबोनैचि पैटर्न का पालन करता है?

यूएई एचएस बीएन में बुर्ज खलीफा फूलों के आकार से प्रेरित है क्योंकि हवाएं ऐसी आकृतियों को कम नुकसान पहुंचाती हैं। जाहिरा तौर पर! प्रत्येक हिंदू के लिए, जीवन का अंतिम उद्देश्य मोक्ष है, जिसे केवल तभी प्राप्त किया जा सकता है जब आप स्वयं के साथ शांति में हों। या मान लीजिए, जब कोई अपने भीतर ऊर्जा के प्रवाह का संतुलन हासिल कर लेता है।

नोट: फाइबोनैचि पैटर्न ब्रह्मांड को ढहने से रोकता है। आकाशगंगाओं का सबसे आम आकार सर्पिल है। तो यह बहुत संभव है कि आकार ऊर्जा के प्रवाह को आसान बनाने में भी मदद करता है।

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