एकांतिक वार्तालाप
.प्रश्न - मेरा आपसे एक छोटा सा प्रश्न है, हम अपने माता पिता का तो नाम नहीं लेते लेकिन जो सृष्टि के जगत के माता पिता है हम उनका नाम क्यों लेते हैं ?
उनका इतना महान नाम है , हमारे प्रभु के नाम मात्र से हमारा कल्याण हो जाएगा सारे पाप नष्ट हो जाएंगे
जैसे हमारे पूज्य गुरुदेव हैं उनका नाम नहीं लेते लेकिन अपने इष्टदेव का नाम लेते हैं राधा राधा राधा राधा राधा
इनके नाम की ऐसी महिमा कि सच्चिदानंदमय नाम उच्चारण करने से हमारे सारे पाप नष्ट हो जाते हैं , हृदय आनंदित हो जाता है.
जैसे आज सुबह आप सत्संग कर रहे थे उस समय ऐसा लगता है कि आज से बस यही करना है आज से नाम जप करूंगा
किसी से फालतू वार्तालाप नहीं करूंगा जैसे ही सत्संग विश्राम हुआ थोड़ा बाहर की हवा लगी फिर वही धीरे-धीरे संसार की बात आना ऐसा क्यों ?
इसलिए कि क्योंकि पवित्र हृदय की निष्ठा नहीं है ना, पवित्र हृदय की निष्ठा नहीं,
तो पहले हमें साधन के द्वारा नाम जप के द्वारा हृदय पवित्र करना पड़ेगा और फिर जिस समय निष्ठा जागृत होगी उसके बाद महसूस होगा आज के बाद नाम छूटेगा नहीं।
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