माता के भजन ढोलक वाले lyrics बजती है ढोलक
बजती है ढोलक बजाने वाला चाहिए,
आती है मईया बुलाने वाला चाहिए,
बजती है ढोलक बजाने वाला चाहिए ॥
बच्चो से मईया कभी रूठ भी जाये तू,
मानती है मईया मनाने वाला चाहिए,
आती है मईया बुलाने वाला चाहिए,
बजती है ढोलक बजाने वाला चाहिए ॥
सारे बोलो जय माता दी,
करो सहाई जय माता दी,
श्री बाण गंगा जय माता दी,
पानी ठंडा जय माता दी,
गोते लगालो जय माता दी,
मल मल नहालो जय माता दी,
जयकारे बोलो जय माता दी,
सारे बोलो जय माता दी,
आती है मईया बुलाने वाला चाहिए,
बजती है ढोलक बजाने वाला चाहिए ॥
रुखा सुखा जैसा भी भोग जो लगाएगा,
खाती है मईया खिलाने वाला चाहिए,
आती है मईया बुलाने वाला चाहिए,
बजती है ढोलक बजाने वाला चाहिए ॥
माँ चरण पादुका जय माता दी,
तुम सिर को झुकाओ जय माता दी,
जब दर्शन देगी जय माता दी,
फिर कटे चौरासी जय माता दी,
बेटी भी बोले जय माता दी,
बेटा भी बोले जय माता दी,
बहु भी बोले जय माता दी,
सासु भी बोले जय माता दी,
आती है मईया बुलाने वाला चाहिए,
बजती है ढोलक बजाने वाला चाहिए ॥
मईया जी को लाल चुनर
चोला बड़ा प्यारा है,
सजती है मईया सजाने वाला चाहिए,
आती है मईया बुलाने वाला चाहिए,
बजती है ढोलक बजाने वाला चाहिए ॥
माँ तुम्हे बुलाये जय माता दी,
माँ किरपा बरसाए जय माता दी,
माँ भाग संवारे जय माता दी,
माँ पार उतरे जय माता दी,
माँ ज्वाला देवी जय माता दी,
माँ माँ चिंतापूर्ण जय माता दी,
माँ नैना देवी जय माता दी,
माँ कालका रानी जय माता दी,
आती है मईया बुलाने वाला चाहिए ॥
मईया के हरदम भरे ही भंडारे है,
भरती है झोलीया फ़ैलाने वाला चाहिए,
आती है मईया बुलाने वाला चाहिए,
बजती है ढोलक बजाने वाला चाहिए ॥
सारे बोलो जय माता दी,
करो सहाई जय माता दी,
श्री बाण गंगा जय माता दी,
पानी ठंडा जय माता दी,
गोते लगालो जय माता दी,
मल मल नहालो जय माता दी,
जयकारे बोलो जय माता दी,
सारे बोलो जय माता दी,
आती है मईया बुलाने वाला चाहिए,
बजती है ढोलक बजाने वाला चाहिए ॥
माता के भजन ढोलक वाले lyrics बजती है ढोलक
महाराजा विक्रमादित्य प्रायः अपने देश की आंतरिक दशा जानने के लिए वेश बदलकर पैदल घूमने जाया करते थे। एक दिन घूमते घूमते एक नगर में पहुंचे। वहां का रास्ता उन्हें मालूम ना था। राजा रास्ता पूछने के लिए किसी व्यक्ति की तलाश में आगे बढ़े। आगे उन्हें एक हवलदार सरकारी वर्दी पहने हुए दिखा। राजा ने उसके पास जाकर पूछा- “महाशय अमुक स्थान जाने का रास्ता क्या है, कृपया बताइए?”
हवलदार में अकड़ कर कहा- “मूर्ख तू देखता नहीं, मैं हाकिम हूं, मेरा काम रास्ता बताना नहीं है, चल हट किसी दूसरे से पूछ।”
राजा ने नम्रता से पूछा -महोदय! यदि सरकारी आदमी भी किसी यात्री को रास्ता बता दे, तो कोई हर्ज तो नहीं है? खैर मैं किसी दूसरे से पूछ लूंगा। पर इतना तो बता दीजिए, कि आप किस पद पर काम करते हैं?
हवलदार ने भोंहे चढ़ाते हुए कहा- अंधा है! मेरी वर्दी को देखकर पहचानता नहीं कि मैं कौन हूं?
राजा ने कहा- शायद आप पुलिस के सिपाही हैं।
उसने कहा नहीं,उससे ऊंचा।
तब क्या नायक हैं ?
नहीं, उस से भी ऊंचा।
अच्छा तो आप हवलदार हैं?
हवलदार ने कहा -अब तू जान गया कि मैं कौन हूं। पर यह तो बता इतनी पूछताछ करने का तेरा क्या मतलब और तू कौन है?
राजा ने कहा- मैं भी सरकारी आदमी हूँ।
सिपाही की ऐंठ कुछ कम हुई ।
उसने पूछा, क्या तुम नायक हो?
राजा ने कहा नहीं, उससे ऊंचा।
तब क्या आप हवलदार हैं ?
नहीं, उस से भी ऊंचा।
तो क्या दरोगा है?
उससे भी ऊंचा।
हवालदार ने कहा -तो क्या आप कप्तान हैं?
राजा ने कहा नहीं, उससे भी ऊंचा।
सूबेदार जी हैं?
नहीं, उससे भी ऊँचा।
अब तो हवलदार घबराने लगा, उसने पूछा- तब आप मंत्री जी हैं।
राजा ने कहा- भाई! बस एक सीड़ी और बाकी रह गई है।
सिपाही ने गौर से देखा, तो शादी पोशाक में महाराजा विक्रमादित्य सामने खड़े हैं।
हवलदार के होश उड़ गए, वह गिड़गिड़ाता हुआ राजा के पांव पर गिर पड़ा और बड़ी दीनता से अपने अपराध की माफी मांगने लगा।
राजा ने कहा-” माफी मांगने की कोई बात नहीं है,मैं जानता हूं कि जो जितने नीचे है वह उतने ही अकड़ते हैं। जब तुम बड़े बनोगे तो मेरी तरह तुम भी नम्रता का बर्ताव सीखोगे। जो जितना ही ऊंचा है, वह उतना ही सहनशील एवं नम्र होता है, और जो जितना नीच एवं ओछा होता है वह उतना ही ऐंठा रहता है।”
इसीलिए कहा गया है-:
*विद्या विवादाय,धनम् मदाये,*
*शक्ति परेशाम परिपीढ़नाएं,*
*खलस्य साधोर, विपरीत मेतत,*
*ज्ञानय,दानाय,च रक्षणाय।।*
*अर्थात-* “दुष्ट व्यक्ति के पास विद्या हो, तो वह विवाद करता है। धन हो तो घमंड करता है और यदि शक्ति हो तो दूसरों को परेशान करता है। वहीं साधु प्रकृति का व्यक्ति, विद्या ज्ञान देने में, धन दान देने में, और शक्ति दूसरों की रक्षा करने में खर्च करता है..!;”
पाण्डव पाँच भाई थे जिनके नाम हैं –
1. युधिष्ठिर 2. भीम 3. अर्जुन
4. नकुल। 5. सहदेव
( इन पांचों के अलावा , महाबली कर्ण भी कुंती के ही पुत्र थे , परन्तु उनकी गिनती पांडवों में नहीं की जाती है )
यहाँ ध्यान रखें कि… पाण्डु के उपरोक्त पाँचों पुत्रों में से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन
की माता कुन्ती थीं ……तथा , नकुल और सहदेव की माता माद्री थी ।
वहीँ …. धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्र…..
कौरव कहलाए जिनके नाम हैं –
1. दुर्योधन 2. दुःशासन 3. दुःसह
4. दुःशल 5. जलसंघ 6. सम
7. सह 8. विंद 9. अनुविंद
10. दुर्धर्ष 11. सुबाहु। 12. दुषप्रधर्षण
13. दुर्मर्षण। 14. दुर्मुख 15. दुष्कर्ण
16. विकर्ण 17. शल 18. सत्वान
19. सुलोचन 20. चित्र 21. उपचित्र
22. चित्राक्ष 23. चारुचित्र 24. शरासन
25. दुर्मद। 26. दुर्विगाह 27. विवित्सु
28. विकटानन्द 29. ऊर्णनाभ 30. सुनाभ
31. नन्द। 32. उपनन्द 33. चित्रबाण
34. चित्रवर्मा 35. सुवर्मा 36. दुर्विमोचन
37. अयोबाहु 38. महाबाहु 39. चित्रांग 40. चित्रकुण्डल41. भीमवेग 42. भीमबल
43. बालाकि 44. बलवर्धन 45. उग्रायुध
46. सुषेण 47. कुण्डधर 48. महोदर
49. चित्रायुध 50. निषंगी 51. पाशी
52. वृन्दारक 53. दृढ़वर्मा 54. दृढ़क्षत्र
55. सोमकीर्ति 56. अनूदर 57. दढ़संघ 58. जरासंघ 59. सत्यसंघ 60. सद्सुवाक
61. उग्रश्रवा 62. उग्रसेन 63. सेनानी
64. दुष्पराजय 65. अपराजित
66. कुण्डशायी 67. विशालाक्ष
68. दुराधर 69. दृढ़हस्त 70. सुहस्त
71. वातवेग 72. सुवर्च 73. आदित्यकेतु
74. बह्वाशी 75. नागदत्त 76. उग्रशायी
77. कवचि 78. क्रथन। 79. कुण्डी
80. भीमविक्र 81. धनुर्धर 82. वीरबाहु
83. अलोलुप 84. अभय 85. दृढ़कर्मा
86. दृढ़रथाश्रय 87. अनाधृष्य
88. कुण्डभेदी। 89. विरवि
90. चित्रकुण्डल 91. प्रधम
92. अमाप्रमाथि 93. दीर्घरोमा
94. सुवीर्यवान 95. दीर्घबाहु
96. सुजात। 97. कनकध्वज
98. कुण्डाशी 99. विरज
100. युयुत्सु
( इन 100 भाइयों के अलावा कौरवों की एक बहन भी थी… जिसका नाम””दुशाला””था,
जिसका विवाह “जयद्रथ” से हुआ था ।
“श्री मद्-भगवत गीता”के बारे में-
ॐ . किसको किसने सुनाई?
उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई।
ॐ . कब सुनाई?
उ.- आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई।
ॐ. भगवान ने किस दिन गीता सुनाई?
उ.- रविवार के दिन।
ॐ. कौन सी तिथि को?
उ.- एकादशी
ॐ. कहा सुनाई?
उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में।
ॐ. कितनी देर में सुनाई?
उ.- लगभग 45 मिनट में
ॐ. क्यू सुनाई ?
उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए।
ॐ. कितने अध्याय है?
उ.- कुल 18 अध्याय
ॐ. कितने श्लोक है?
उ.- 700 श्लोक
*ॐ. गीता में क्या-क्या बताया गया है?
उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है।
ॐ. गीता को अर्जुन के अलावा
और किन किन लोगो ने सुना?
उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने
ॐ. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था?
उ.- भगवान सूर्यदेव को
ॐ. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है?
उ.- उपनिषदों में
ॐ. गीता किस महाग्रंथ का भाग है….?
उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है।
ॐ. गीता का दूसरा नाम क्या है?
उ.- गीतोपनिषद
ॐ. गीता का सार क्या है?
उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना
ॐ. गीता में किसने कितने श्लोक कहे है?
उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574
अर्जुन ने- 85
धृतराष्ट्र ने- 1
संजय ने- 40.