पार्वती बोली शंकर से लिरिक्स
पार्वती बोली शंकर से सुनिये भोलेनाथ जी
रहना है हर एक जनम में मुझे तुम्हारे साथ जी
वचन दीजिये ना छोड़ेंगे कभी हमारा हाथ जी
ओ भोलेनाथ जी ओ शंभूनाथ जी
ओ भोलेनाथ जी ओ शंकरनाथ जी
ओ भोलेनाथ जी ओ शंभूनाथ जी
ओ भोलेनाथ जी ओ शंकरनाथ जी
पार्वती बोली शंकर से सुनिये भोलेनाथ जी…..
जैसे मस्तक पे चंदा है गंगा बसी जटाओ में
वैसे रखना हे अभिनाशी मुझे प्रेम की छाओ में
जैसे मस्तक पे चंदा है गंगा बसी जटाओ में
वैसे रखना हे अभिनाशी मुझे प्रेम की छाओ में
कोई नहीं तुमसा तीनो लोको में
दसो दिशाओ में
महलो से ज्यादा सुख है कैलाश की खुली हवाओ में
तुम हो जहा वहा होती है
तुम हो जहा वहा होती है अमृत की बरसात जी
रहना है हर एक जनम में मुझे तुम्हारे साथ जी
वचन दीजिये ना छोड़ेंगे कभी हमारा हाथ जी
ओ भोलेनाथ जी ओ शंभूनाथ जी
ओ भोलेनाथ जी ओ शंकरनाथ जी
ओ भोलेनाथ जी ओ शंभूनाथ जी
ओ भोलेनाथ जी ओ शंकरनाथ जी
पार्वती बोली शंकर से सुनिये भोलेनाथ जी…..
देव हो तुम देवो के भोले अमर हो अन्तर्यामी हो
भाग्यवान है हम त्रिपुरारी आप हमारे स्वामी हो
देव हो तुम देवो के भोले अमर हो अन्तर्यामी हो
भाग्यवान है हम त्रिपुरारी आप हमारे स्वामी हो
पुष्प विमानों से प्यारी हमको नंदी की सवारी जी
युगो युगो से पार्वती भोले तुमपे बलिहारी जी
जब लाओ तुम्ही लाना
जब लाओ तुम्ही लाना द्वारे मेरे बारात जी
रहना है हर एक जनम में मुझे तुम्हारे साथ जी
वचन दीजिये ना छोड़ेंगे कभी हमारा हाथ जी
ओ भोलेनाथ जी ओ शंभूनाथ जी
ओ भोलेनाथ जी ओ शंकरनाथ जी
ओ भोलेनाथ जी ओ शंभूनाथ जी
ओ भोलेनाथ जी ओ शंकरनाथ जी
पार्वती बोली शंकर से सुनिये भोलेनाथ जी…..
प्राण मेरे बस्ते है तुम में तुम बिन मेरी नहीं गति
अग्नि कुंड में होके भष्म तुम हुयी थी मेरे लिये सती
शिव बिन जैसे शक्ति अधूरी शक्ति बिन शिव आधे है
जनमो तक ना टूटेंगे ये जनम जनम के नाते है
तुम ही मेरी संध्या हो गौरी तुम ही मेरी प्रभात जी
वचन है मेरा ना छोडूंगा कभी तुम्हारा हाथ जी
सदा रहे है सदा रहेंगे गौरी शंकर साथ जी
रहना है हर एक जनम में मुझे तुम्हारे साथ जी
वचन दीजिये ना छोड़ेंगे कभी हमारा हाथ जी
ओ भोलेनाथ जी ओ शंभूनाथ जी
ओ भोलेनाथ जी ओ शंकरनाथ जी
ओ भोलेनाथ जी ओ शंभूनाथ जी
ओ भोलेनाथ जी ओ शंकरनाथ जी
पार्वती बोली शंकर से सुनिये भोलेनाथ जी…..
ओ मेरे भोला है मेरे साथ साथ मैं झूम झूम के नाचू
मेरे भोला है मेरे साथ साथ मैं घूम घूम के नाचू
मैं झूम झूम के नाचू अरे घूम घूम के नाचू
मेरे भोला ओ मेरा भोला
मेरे भोला है मेरे साथ साथ मैं झूम झूम के नाचू
मेरे भोला है मेरे साथ साथ मैं घूम घूम के नाचू
ओ भोलेनाथ जी ओ शंभूनाथ जी
पार्वती बोली शंकर से
पार्वती बोली शंकर से सुनिये भोलेनाथ जी
रहना है हर एक जनम में मुझे तुम्हारे साथ जी
वचन दीजिये ना छोड़ेंगे कभी हमारा हाथ जी
ओ भोलेनाथ जी ओ शंभूनाथ जी
ओ भोलेनाथ जी ओ शंकरनाथ जी
ओ भोलेनाथ जी ओ शंभूनाथ जी
ओ भोलेनाथ जी ओ शंकरनाथ जी
हर हर महादेव
पार्वती बोली शंकर से लिरिक्स
एक बार की बात है, एक गाँव था जहाँ भागवत कथा का आयोजन किया गया था। एक पंडित कथा सुनाने आया था जो पूरे एक सप्ताह तक चली। अंतिम अनुष्ठान के बाद, जब पंडित दान लेकर घोड़े पर सवार होकर जाने को तैयार हुआ, तो धन्ना जाट नामक एक सीधे-सादे और गरीब किसान ने उसे रोक लिया।
धन्ना ने कहा, “हे पंडित जी! आपने कहा था कि जो भगवान की सेवा करता है, उसका बेड़ा पार हो जाता है। लेकिन मेरे पास भगवान की मूर्ति नहीं है और न ही मैं ठीक से पूजा करना जानता हूँ। कृपया मुझे भगवान की एक मूर्ति दे दीजिए।”
पंडित ने उत्तर दिया, “आप स्वयं ही एक मूर्ति ले आइए।”
धन्ना ने कहा, “लेकिन मैंने तो भगवान को कभी देखा ही नहीं, मैं उन्हें कैसे लाऊँगा?”
उन्होंने पिण्ड छुडाने को अपना भंग घोटने का सिलबट्टा उसे दिया और बोले- “ये ठाकुरजी हैं ! इनकी सेवा पूजा करना।’
“सच्ची भक्ति: सेवा और करुणा का मार्ग”
एक समय की बात है, एक शहर में एक धनवान सेठ रहता था। उसके पास बहुत दौलत थी और वह कई फैक्ट्रियों का मालिक था।
एक शाम, अचानक उसे बेचैनी की अनुभूति होने लगी। डॉक्टरों ने उसकी जांच की, लेकिन कोई बीमारी नहीं मिली। फिर भी उसकी बेचैनी बढ़ती गई। रात को नींद की गोलियां लेने के बावजूद भी वह नींद नहीं पा रहा था।
आखिरकार, आधी रात को वह अपने बगीचे में घूमने निकल गया। बाहर आने पर उसे थोड़ा सुकून मिला, तो वह सड़क पर चलने लगा। चलते-चलते वह बहुत दूर निकल आया और थककर एक चबूतरे पर बैठ गया।
तभी वहां एक कुत्ता आया और उसकी एक चप्पल ले गया। सेठ ने दूसरी चप्पल उठाकर उसका पीछा किया। कुत्ता एक झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाके में घुस गया। जब सेठ नजदीक पहुंचा, तो कुत्ते ने चप्पल छोड़ दी और भाग गया।
इसी बीच, सेठ ने किसी के रोने की आवाज सुनी। वह आवाज एक झोपड़ी से आ रही थी। अंदर झांककर उसने देखा कि एक गरीब औरत अपनी बीमार बच्ची के लिए रो रही है और भगवान से मदद मांग रही है।
शुरू में सेठ वहां से चला जाना चाहता था, लेकिन फिर उसने औरत की मदद करने का फैसला किया। जब उसने दरवाजा खटखटाया तो औरत डर गई। सेठ ने उसे आश्वस्त किया और उसकी समस्या